प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के बाद मणिपुर के चुराचांदपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन

शांति की अपील के बावजूद हिंसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मणिपुर यात्रा के ठीक एक दिन बाद, राज्य के चुराचांदपुर जिले में फिर से हिंसा भड़क उठी। यह घटना तब हुई जब पीएम मोदी ने राज्य में शांति और सद्भाव की अपील की थी। उनकी यात्रा का मकसद दोनों समुदायों (मैतेई और कुकी-ज़ो) के बीच विश्वास बहाल करना था। हालांकि, उनकी यात्रा के तुरंत बाद चुराचांदपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन ने एक बार फिर दिखा दिया कि राज्य में हालात कितने नाजुक हैं।

क्या था विरोध का कारण?

यह विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से दो युवकों की गिरफ्तारी को लेकर शुरू हुआ था। इन युवकों पर प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले शहर में लगे बैनरों और कटआउट को नुकसान पहुंचाने का आरोप था। गिरफ्तारी के बाद, युवाओं का एक बड़ा समूह चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन के बाहर इकट्ठा हो गया। वे अपने गिरफ्तार दोस्तों की रिहाई की मांग कर रहे थे।

शुरुआत में यह विरोध शांतिपूर्ण था। लेकिन धीरे-धीरे भीड़ हिंसक हो गई। उन्होंने सुरक्षा बलों पर पथराव करना शुरू कर दिया, जिसके बाद पुलिस को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और सीआरपीएफ को तैनात करना पड़ा।2 यह विरोध प्रदर्शन इतना बढ़ गया कि अंततः पुलिस को दोनों युवकों को रिहा करना पड़ा, जिसके बाद ही तनाव कम हुआ।

यह घटना यह साबित करती है कि मणिपुर में छोटी-सी चिंगारी भी बड़े विवाद का कारण बन सकती है। यह दिखाता है कि राज्य में अभी भी सुलह की प्रक्रिया काफी धीमी और जटिल है।


PM मोदी की यात्रा का उद्देश्य और प्रतिक्रियाएं

लगभग दो साल बाद पीएम मोदी की मणिपुर यात्रा का उद्देश्य राज्य में शांति और विकास का संदेश देना था। उन्होंने चुराचांदपुर में 7,300 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और विस्थापित परिवारों से मुलाकात भी की।3 उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हालांकि, उनकी इस यात्रा को लेकर कुछ वर्गों में निराशा भी थी।

कुछ कुकी-ज़ो समूह पीएम की यात्रा का बहिष्कार करने की योजना बना रहे थे। उनका मानना था कि प्रधानमंत्री को पहले ही आना चाहिए था और अब तक हुए नुकसान की भरपाई के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। इन समूहों ने पीएम की यात्रा के दौरान “काला पोशाक” पहनकर विरोध करने का भी फैसला किया था।

पीएम ने अपनी यात्रा के दौरान मैतेई और कुकी-ज़ो दोनों समुदायों से “पहाड़ियों और घाटी के बीच सद्भाव का पुल बनाने” का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार मणिपुर के लोगों के साथ है। फिर भी, चुराचांदपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन यह दर्शाता है कि लोगों का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ है।


मौजूदा स्थिति और भविष्य की राह

मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा जारी है, जिसमें 260 से अधिक लोग मारे गए हैं और लगभग 70,000 लोग विस्थापित हुए हैं।4 यह संघर्ष मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच अनुसूचित जनजाति (ST) के दर्जे को लेकर शुरू हुआ था, लेकिन अब यह गहरी खाई में बदल गया है।

PM मोदी की यात्रा के बाद चुराचांदपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन क्यों भड़का?

पीएम मोदी की यात्रा एक महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक कदम था। यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर ध्यान दे रही है। हालांकि, केवल प्रतीकात्मक कदम पर्याप्त नहीं हैं। राज्य में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए कई मोर्चों पर काम करना होगा:

  1. राजनयिक वार्ता: दोनों समुदायों के बीच बातचीत को और मजबूत करना होगा।
  2. कानून-व्यवस्था: हिंसा को रोकने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की प्रभावी तैनाती आवश्यक है।
  3. पुनर्वास: विस्थापित लोगों के पुनर्वास और उनकी आजीविका की बहाली के लिए एक व्यापक योजना बनानी होगी।
  4. विकास: राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास पर जोर देना होगा ताकि बेरोजगारी और गरीबी जैसे मुद्दों का समाधान हो सके।

यह स्पष्ट है कि चुराचांदपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन एक जटिल समस्या का लक्षण मात्र है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब सभी पक्ष मिलकर काम करें और एक-दूसरे के प्रति विश्वास बहाल करें।

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