सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: ASI-संरक्षित स्मारक वक्फ नहीं हो सकते


ASI-संरक्षित स्मारक वक्फ घोषित नहीं हो सकते: सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

मेटा विवरण: सुप्रीम कोर्ट ने ASI-संरक्षित स्मारक वक्फ नहीं हो सकते के प्रावधान को बरकरार रखा है। हालांकि, कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कई अन्य विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगा दी है। इस फैसले का क्या महत्व है और इसका भारत की ऐतिहासिक विरासत पर क्या प्रभाव पड़ेगा, आइए जानते हैं। यह लेख ASI-संरक्षित स्मारक वक्फ नहीं हो सकते के मुद्दे पर गहराई से प्रकाश डालता है।


सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय: विरासत और कानून की लड़ाई ⚖️

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की धारा 3D पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस धारा में कहा गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित कोई भी स्मारक वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता। यह निर्णय भारतीय इतिहास और कानून दोनों के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है।

यह फैसला इस बात पर जोर देता है कि राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना कितना महत्वपूर्ण है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि यह प्रावधान धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस तर्क को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि ASI अधिनियम की धारा 5(6) पहले से ही लोगों को संरक्षित स्मारकों में अपनी धार्मिक गतिविधियां जारी रखने की अनुमति देती है।

क्या था विवाद?

यह पूरा विवाद वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कुछ प्रावधानों को लेकर शुरू हुआ था। याचिकाकर्ताओं ने इस कानून के कई हिस्सों को चुनौती दी थी। उनका मुख्य तर्क यह था कि यह कानून धार्मिक और संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है। विशेष रूप से, ASI-संरक्षित स्मारक वक्फ नहीं हो सकते वाला प्रावधान चर्चा का केंद्र था। सरकार ने तर्क दिया था कि कई मामलों में वक्फ बोर्ड ने ASI-संरक्षित स्मारकों पर मालिकाना हक का दावा किया है। इससे इन स्मारकों के संरक्षण और रखरखाव में बाधा आ रही थी।

उदाहरण के लिए, कई ऐतिहासिक मस्जिदें और मकबरे, जो ASI के तहत संरक्षित हैं, को वक्फ संपत्ति के रूप में अधिसूचित किया गया था। इस कारण, ASI के अधिकारी उनकी मरम्मत या संरक्षण के लिए काम नहीं कर पा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस तर्क को स्वीकार किया और माना कि विरासत स्थलों की सुरक्षा सर्वोपरि है।

कोर्ट ने किन प्रावधानों पर लगाई रोक?

हालांकि, कोर्ट ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन कई अन्य विवादास्पद प्रावधानों को अस्थायी रूप से रोक दिया है। इनमें से कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:

  1. वक्फ बनाने की शर्त: कोर्ट ने उस प्रावधान पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि केवल वही व्यक्ति वक्फ बना सकता है जिसने पिछले पांच सालों से इस्लाम का पालन किया हो। अदालत ने कहा कि जब तक इस शर्त को लागू करने के लिए कोई स्पष्ट तंत्र या नियम नहीं बनते, तब तक इसे रोका जाना चाहिए।
  2. कलेक्टर के अधिकार: कोर्ट ने उस प्रावधान को भी स्थगित कर दिया जिसमें किसी कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार दिया गया था कि कोई संपत्ति सरकारी है या वक्फ। अदालत ने कहा कि यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन है, क्योंकि संपत्ति के स्वामित्व का निर्धारण केवल एक न्यायिक या अर्ध-न्यायिक निकाय द्वारा किया जाना चाहिए।

ये दोनों ही फैसले महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे कार्यकारी शक्तियों पर न्यायिक नियंत्रण स्थापित करते हैं।


भविष्य की राह और महत्व

यह फैसला भारत की कानूनी व्यवस्था में संतुलन का एक और उदाहरण है। एक ओर, यह सरकार को देश की विरासत को सुरक्षित रखने की शक्ति देता है। दूसरी ओर, यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा भी करता है। ASI-संरक्षित स्मारक वक्फ नहीं हो सकते का फैसला यह सुनिश्चित करेगा कि ऐतिहासिक धरोहरें राजनीतिक और धार्मिक विवादों से मुक्त रहें।

यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट किसी भी कानून पर पूर्ण रोक लगाने से पहले उसकी बारीकी से जांच करता है। कोर्ट ने कहा कि कानून को संवैधानिक रूप से वैध माना जाता है, जब तक कि याचिकाकर्ता इसे असंवैधानिक साबित न कर दें। इस प्रकार, यह फैसला दोनों पक्षों के तर्कों का सम्मान करते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

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