डोनाल्ड ट्रम्प का बड़ा बयान: क्या रिश्तों में आएगी नरमी?
हाल ही में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर पीएम मोदी से बात करेंगे का बयान देकर सुर्खियों बटोरी है। दरअसल, अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर व्यापारिक तनाव चल रहा है।1 दोनों देश एक-दूसरे के सामान पर भारी शुल्क लगा रहे हैं।2 इसी बीच, ट्रम्प ने कहा कि वह “आने वाले हफ्तों में” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे। उनका यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है। एक तरफ, ट्रम्प ने भारत को एक महान देश और पीएम मोदी को एक “शानदार प्रधानमंत्री” बताया है। वहीं, दूसरी तरफ, वे लगातार भारत पर “सबसे अधिक टैरिफ” लगाने का आरोप लगा रहे हैं।
यह बयान तब आया है जब अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50% आयात शुल्क लगाया है, जिसका असर झींगा, कपड़ा, चमड़ा और जूते जैसे उद्योगों पर पड़ रहा है।3 भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस मुद्दे पर कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी रखने की बात कही है, जिससे यह साफ होता है कि दोनों देश इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रयासरत हैं।4
टैरिफ विवाद की जड़ क्या है?
भारत-अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद नया नहीं है। ट्रम्प ने लंबे समय से भारत पर अमेरिकी उत्पादों पर अत्यधिक शुल्क लगाने का आरोप लगाया है। विशेष रूप से, उन्होंने हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल का उदाहरण दिया है, जिस पर भारत में पहले बहुत ज्यादा टैरिफ लगता था। उनका तर्क है कि भारत ने अमेरिकी सामानों के लिए अपने बाजार बंद कर दिए हैं, जबकि अमेरिका ने भारतीय उत्पादों को बिना किसी बाधा के आने दिया है।
इस विवाद की एक और बड़ी वजह रूस से भारत का तेल खरीदना है। यूक्रेन युद्ध के बाद, अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए। लेकिन भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। ट्रम्प ने इस पर नाराजगी व्यक्त की और भारत पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया, जिससे कुल शुल्क 50% हो गया।5
क्या ट्रम्प के रुख में बदलाव आया है?
हाल के दिनों में ट्रम्प के बयानों में विरोधाभास देखने को मिला है। एक तरफ वे भारत पर टैरिफ को लेकर हमलावर हैं, तो दूसरी तरफ वे पीएम मोदी की तारीफ कर रहे हैं।6 इस बदलाव के कई कारण हो सकते हैं।
- राजनयिक दबाव: भारत ने इस विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत ने बातचीत के लिए सभी दरवाजे खुले रखे हैं।7
- आंतरिक विरोध: अमेरिका के अंदर भी कई आर्थिक विशेषज्ञ ट्रम्प की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस तरह के टैरिफ लगाने से अमेरिका भारत जैसे महत्वपूर्ण भागीदार से दूर हो सकता है।
- चीन का बढ़ता प्रभाव: ट्रम्प को इस बात का डर है कि अगर अमेरिका भारत से दूर होता है, तो भारत चीन के करीब जा सकता है। ट्रम्प ने हाल ही में एक पोस्ट में कहा था कि “ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।”
- कूटनीतिक समझ: पूर्व राजनयिकों का कहना है कि ट्रम्प को यह एहसास हो गया है कि भारत जैसा देश दबाव में नहीं आएगा। भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को जारी रखेगा।
यह समझना जरूरी है कि भारत किसी भी खेमे में शामिल होने के बजाय अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है। भारत ने “आत्मनिर्भर भारत” का नारा देकर यह साफ कर दिया है कि वह अपने देश में उत्पादन को बढ़ावा देगा।
भविष्य में क्या होगा?
इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। ट्रम्प का यह बयान कि पीएम मोदी से बात करेंगे, एक सकारात्मक संकेत है। यह दर्शाता है कि दोनों पक्ष इस मुद्दे को हल करना चाहते हैं। अगर दोनों देशों के बीच कोई व्यापार समझौता होता है, तो इससे न केवल व्यापारिक संबंध सुधरेंगे, बल्कि रणनीतिक साझेदारी भी मजबूत होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका भारत को रणनीतिक रूप से अपने पक्ष में रखना चाहता है, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने के लिए। इसीलिए, व्यापारिक तनाव के बावजूद, दोनों देश सैन्य अभ्यास जारी रखे हुए हैं। यह विरोधाभास दिखाता है कि अमेरिका भारत के साथ अपने संबंधों को पूरी तरह से खराब नहीं करना चाहता।
अंततः, ट्रम्प का बयान दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी और पीएम मोदी की बातचीत से क्या नतीजा निकलता है और क्या यह टैरिफ विवाद का स्थायी समाधान निकाल पाती है।